#dspsantoshpatel के गाँव में आज भी ऐसे लोग व गाँव ज़िंदा हैं जहाँ दादा से लेकर पनाती व सास बहू एक साथ मिलकर नाचते हैं तथा संस्कृति, सभ्यता व संस्कार तीनों के दर्शन होते हैं। दादा जी के पैर छुए लेकिन खेल के मैदान का संस्कार दिखाते हुए बराबरी के रूप में अभिवादन किया। संस्कार बड़ों से ऐसे ही खून में उतरते जाते हैं।दिवारी नृत्य में लाठी के कौशल को हमारे यहाँ घाई बोलते हैं और गुलाटी जो कि प्रयास करने के बाद सीख गए। #दीवारी #नृत्य #गाँव #DSP


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