अगर आपको यह पता हो कि जिस इमारत में आप काम करते हैं उस पर कभी भी बम गिर सकता है तो क्या आप उसे छोड़कर भाग जाएँगे या वहीं काम करते रहेंगे? भाग जाना ही समझदारी होगी। मगर क्या आप ग़ज़ा के डॉक्टर सफ़िया के बारे में जानते हैं? सवा साल तक उन्होंने एक ऐसे अस्पताल में काम किया जिस पर हर समय बम का ख़तरा मंडराता रहा और कई बार हमला हुआ भी। पर अपने काम के प्रति डॉक्टर सफ़िया की निष्ठा देखिए कि वो सवा साल तक अपने मरीज़ों का इलाज करते रहे, कमाल अदवान अस्पताल को नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने बेटे को खो दिया, ख़ुद घायल हुए मगर अस्पताल में डटे रहे। 27 दिसंबर को जब इस्राईली सेना ने हमला करने के बाद उन्हें अस्पताल के बाहर बुलाया तब वे टैंकों की तरफ़ चले गए, ये जानते हुए कि उनके साथ कुछ भी हो सकता है। उनकी इस आख़री तस्वीर ने दुनिया को झकझोर दिया है। डॉक्टर सफ़िया इस वक़्त कहाँ हैं, किस हालत में हैं, कोई नहीं जानता। मगर सारी दुनिया ने एक ऐसे डॉक्टर की मिसाल देखी है जिसका कहीं कोई मुक़ाबला नहीं।

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